"हाथों की लकीरें "
Muzaffarpur Bihar India, April 9, 2025, 4 p.m.पूछा जो ख़ुदा से, क्यों हाथों की लकीरें पूरी नहीं खींचीं!
कहा उसने — तेरी कहानी अभी पूरी नहीं लिखी!!
कर रहा था मैं तेरी ख़्वाहिशें पूरी,
पर तेरी रूह ने ही तेरे हाथ खींच ली!
दिया तो था एक और मौका तुझे,
पर तेरे अपनों ने ही उस पर तेरी बर्बादी खींच दी!!
~ निराश
